डॉक्टरों की हड़ताल पर भोपाल से रिपोर्ट:हमीदिया और जेपी समेत दूसरे अस्पतालों में नहीं दिखा असर, OPD रहे चालू
भोपाल. आयुर्वेद में सर्जरी की अनुमति के खिलाफ भोपाल में आज सरकारी और निजी डॉक्टर के समर्थन में हैं। भोपाल में डॉक्टरों की हड़ताल का असर दिखाई नहीं दिया। आम दिनों की तरह हमीदिया और जेपी अस्पताल में OPD चालू रही। मरीजों का देखना और ऑपरेशन भी चालू रहे। यहां सरकारी डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। प्राइवेट डॉक्टर भी इमरजेंसी सेवाएं दे रहे हैं। डॉक्टर राकेश मालवीय ने बताया कि हम एसोसिएशन के समर्थन में है, लेकिन सरकारी अस्पतालों की OPD चालू है। सिर्फ काली पट्टी बांधकर काम कर रहे हैं।
हमीदिया अस्पताल में आम दिनों में करीब दो हजार की ओपीडी रहती है। शुक्रवार दोपहर 2 बजे तक करीब एक हजार लोगों को डॉक्टर देख चुके थे। वहीं, जेपी अस्पताल में भी दोपहर 2 बजे तक 450 मरीज ओपीडी में देखे जा चुके थे। 26 मरीजों को अस्पताल में भर्ती भी किया गया।
इससे पहले नई दिल्ली स्थित IMA भवन में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने यह घोषणा करते हुए कहा था कि आयुर्वेद चिकित्सकों द्वारा सर्जरी के कानूनी अभ्यास की अनुमति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। मध्यप्रदेश जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन के संरक्षक सचेत सक्सेना ने बताया कि कोविड को देखते हुए पूरी तरह हड़ताल पर नहीं रहेंगे।
IMA ने अधिसूचना को वापस लेने की मांग की है
IMA का कहना है कि अनुमति देने के लिए CCIM की अधिसूचना और नीति आयोग द्वारा चार समितियों के गठन से केवल मिक्सोपैथी को बढ़ावा मिलेगा। अधिसूचना को वापस लेने और चार समितियों के गठन को रद्द करते हैं। आधुनिक चिकित्सा और सर्जिकल विषयों पर CCIM के निर्णयों पर विरोध जताया है। IMA का मानना है कि यह मिक्सोपैथी को वैध बनाने की दिशा में एक और कदम है।
नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन हड़ताल के खिलाफ
मध्यप्रदेश के नेशनल इंटीग्रेटेड मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डॉक्टर महेश गुप्ता और महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर नेहा रेजा ने बताया कि CCIM द्वारा हाल ही में प्रकाशित राजपत्र के अनुसार आयुर्वेद में शल्य (जनरल सर्जरी) और शालाक्य (ईएनटी) के पोस्ट ग्रेजुएट डॉक्टर्स को 58 शास्त्र क्रियाएं करने की कानूनी अनुमति प्रदान की गयी है।
IMA ने देश भर मे इसका विरोध शुरू किया है। CCIM द्वारा प्रकाशित इस राजपत्र में शास्त्र क्रियाओं की स्थिति स्पष्ट की गई है और पुराने नोटिफिकेशन का स्पष्टीकरण किया गया है। इसमें नया कुछ नही है। आयुर्वेद के इन विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट काफी पहले से ये शस्त्र क्रिया कानूनी तौर पर करते आएं है।